अलसी एक चमत्कारी आहार है। इसके नियमित सेवन
से कई प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है। अलसी में ओमेगा३ पाया जाता है।
यह हमें कई रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। ओमेगा३ शरीर के अंदर
नहीं बनता इसे भोजन द्वारा ही ग्रहण किया जा सकता है। शाकाहारियों के लिए
अलसी से अच्छा इसका कोई और स्रोत नहीं है। माँसाहारियों को तो यह तत्व मछली
से मिल जाता है। अगर आप स्वयं को निरोग और तंदुरुस्त रखना चाहते हैं, तो
रोज कम से कम एक दो चम्मच अलसी को अपने आहार का अंग बनाइये। अलसी टीबी,
कैंसर, हृदयरोग, मधुमेह, उच्चरक्तचाप, कब्ज, बवासीर, जोड़ों का दर्द,
एग्जिमा, ब्रिटल नेल एण्ड ब्रिटल हेयर जैसे नाना प्रकार के रोगों से आपको
बचा सकती है। यह शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाती है और खराब
कोलेस्ट्रोल को कम करती है। धमनियों में जमे कोलेस्ट्रोल को साफ करती है।
पेट की सफाई करती है। अर्थात यह प्रकृति का सफाई आहार है।
कैसे सेवन करेंः अलसी को साफ कर हल्की आँच पर थोड़ा भून लें। इसमें थोड़ी सौंफ और अजवाइन मिला लें। चाहें तो काला नमक और नींबू का सत भी स्वाद के लिए डाला जा सकता है। इसे मुख शुद्धि के रूप में भोजन के बाद सुबह शाम और दोपहर में एक-एक चम्मच ले सकते हैं।
-या फिर सींकी हुई अलसी को मिक्सर में हल्का पीस कर आटे में मिला कर उसकी रोटी बनाइए और खाइए। या पीसी अलसी को सब्जी अथवा दाल में डाल कर भी खाया जा सकता है।
-विभिन्न प्रकार की चटनियों के साथ इसे मिला कर भी लिया जा सकता है।
अलसी के बारे में ज्यादा जानकारी आपको Flaxindia.ning.com पर मिल सकती है। कोटा राजस्थान के डा.ओपी वर्मा ने इस पर काफी रिसर्च किया है। उन्होंने फ्लेक्स अवेअरनेस सोसायटी बनाई है। चाहें तो आप भी उसके सदस्य बन कर अलसी अपनाने वाले क्लब में शामिल हो सकते हैं।
अगर आप पहले से अलसी का प्रयोग कर रहे हों तो अपने अनुभव शेयर कीजिए। या अब शुरू करने पर कुछ समय बाद बताइये कि आपको कैसे और क्या लाभ नजर आए।
भ्रांतिः कुछ लोगों के मन में यह भ्रांति है कि अलसी की प्रकृति गर्म होती है। अतः ग्रीष्मकाल में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। मैंने यह जिज्ञासा डा.ओपी वर्माजी के समक्ष रखी तो उनका जवाब था कि अलसी गर्म नहीं होती इसे किसी भी मौसम में लेने में कोई हर्ज नहीं है। कुछ लोगों को शुरूआत में पतले दस्त होने लगते हैं लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। बाद में अपने आप सब ठीक हो जाता है।
अलसी के अन्य फायदे
•ऊर्जा, स्फूर्ति व जीवटता प्रदान करती है।
•तनाव के क्षणों में शांत व स्थिर बनाए रखने में सहायक है।
•कैंसररोधी हार्मोन्स की सक्रियता बढ़ाती है।
•जोड़ों का कड़ापन कम करती है।
•प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रखती है।
•हृदय संबंधी रोगों के खतरे को कम करती है।
•उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करती है।
•त्वचा को स्वस्थ रखती है एवं सूखापन दूर कर एग्जिमा, खुजली, मुंहासे, सोराइसिस आदि से बचाती है।
•बालों व नाखून की वृद्धि कर उन्हें स्वस्थ व चमकदार बनाती है।
•इसका नियमित सेवन रजोनिवृत्ति संबंधी परेशानियों में राहत देता है।
•मासिक धर्म के दौरान ऐंठन को कम कर गर्भाशय को स्वस्थ रखती है।
•अलसी का सेवन त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम करता है।
•इसके रेशे पाचन को सुगम बनाते हैं, इस कारण वजन नियंत्रण करने में अलसी सहायक है।
•चयापचय की दर को बढ़ाती है एवं यकृत को स्वस्थ रखती है। DR VIJOY NAG M.D(AM)
कैसे सेवन करेंः अलसी को साफ कर हल्की आँच पर थोड़ा भून लें। इसमें थोड़ी सौंफ और अजवाइन मिला लें। चाहें तो काला नमक और नींबू का सत भी स्वाद के लिए डाला जा सकता है। इसे मुख शुद्धि के रूप में भोजन के बाद सुबह शाम और दोपहर में एक-एक चम्मच ले सकते हैं।
-या फिर सींकी हुई अलसी को मिक्सर में हल्का पीस कर आटे में मिला कर उसकी रोटी बनाइए और खाइए। या पीसी अलसी को सब्जी अथवा दाल में डाल कर भी खाया जा सकता है।
-विभिन्न प्रकार की चटनियों के साथ इसे मिला कर भी लिया जा सकता है।
अलसी के बारे में ज्यादा जानकारी आपको Flaxindia.ning.com पर मिल सकती है। कोटा राजस्थान के डा.ओपी वर्मा ने इस पर काफी रिसर्च किया है। उन्होंने फ्लेक्स अवेअरनेस सोसायटी बनाई है। चाहें तो आप भी उसके सदस्य बन कर अलसी अपनाने वाले क्लब में शामिल हो सकते हैं।
अगर आप पहले से अलसी का प्रयोग कर रहे हों तो अपने अनुभव शेयर कीजिए। या अब शुरू करने पर कुछ समय बाद बताइये कि आपको कैसे और क्या लाभ नजर आए।
भ्रांतिः कुछ लोगों के मन में यह भ्रांति है कि अलसी की प्रकृति गर्म होती है। अतः ग्रीष्मकाल में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। मैंने यह जिज्ञासा डा.ओपी वर्माजी के समक्ष रखी तो उनका जवाब था कि अलसी गर्म नहीं होती इसे किसी भी मौसम में लेने में कोई हर्ज नहीं है। कुछ लोगों को शुरूआत में पतले दस्त होने लगते हैं लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। बाद में अपने आप सब ठीक हो जाता है।
अलसी के अन्य फायदे
•ऊर्जा, स्फूर्ति व जीवटता प्रदान करती है।
•तनाव के क्षणों में शांत व स्थिर बनाए रखने में सहायक है।
•कैंसररोधी हार्मोन्स की सक्रियता बढ़ाती है।
•जोड़ों का कड़ापन कम करती है।
•प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रखती है।
•हृदय संबंधी रोगों के खतरे को कम करती है।
•उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करती है।
•त्वचा को स्वस्थ रखती है एवं सूखापन दूर कर एग्जिमा, खुजली, मुंहासे, सोराइसिस आदि से बचाती है।
•बालों व नाखून की वृद्धि कर उन्हें स्वस्थ व चमकदार बनाती है।
•इसका नियमित सेवन रजोनिवृत्ति संबंधी परेशानियों में राहत देता है।
•मासिक धर्म के दौरान ऐंठन को कम कर गर्भाशय को स्वस्थ रखती है।
•अलसी का सेवन त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम करता है।
•इसके रेशे पाचन को सुगम बनाते हैं, इस कारण वजन नियंत्रण करने में अलसी सहायक है।
•चयापचय की दर को बढ़ाती है एवं यकृत को स्वस्थ रखती है। DR VIJOY NAG M.D(AM)
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