अलसी
में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, केरोटिन, थायमिन, राइबोफ्लेविन और नियासिन
पाए जाते हैं। यह गनोरिया, नेफ्राइटिस, अस्थमा, सिस्टाइटिस, कैंसर, हृदय
रोग, मधुमेह, कब्ज, बवासीर, एक्जिमा के उपचार में उपयोगी है। अलसी को धीमी
आँच पर हल्का भून लें। फिर मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे
में भरकर रख लें। रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच पावडर पानी के साथ लें। इसे
सब्जी या दाल में मिलाकर भी लिया जा सकता है।
इसे अधिक मात्रा में पीस कर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह खराब होने लगती है। इसलिए थोड़ा-थोड़ा ही पीस कर रखें। अलसी सेवन के दौरान पानी खूब पीना चाहिए। इसमें फायबर अधिक होता है, जो पानी ज्यादा माँगता है। एक चम्मच अलसी पावडर को 360 मिलीलीटर पानी में तब तक धीमी आँच पर पकाएँ जब तक कि यह पानी आधा न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद या शकर मिलाकर सेवन करें।
सर्दी, खाँसी, जुकाम में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। अस्थमा में भी यह चाय बड़ी उपयोगी है। अस्थमा वालों के लिए एक और नुस्खा भी है। एक चम्मच अलसी पावडर आधा गिलास पानी में सुबह भिगो दें। शाम को इसे छानकर पी लें। शाम को भिगोकर सुबह सेवन करें। गिलास काँच या चाँदी का होना चाहिए।
इसे अधिक मात्रा में पीस कर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह खराब होने लगती है। इसलिए थोड़ा-थोड़ा ही पीस कर रखें। अलसी सेवन के दौरान पानी खूब पीना चाहिए। इसमें फायबर अधिक होता है, जो पानी ज्यादा माँगता है। एक चम्मच अलसी पावडर को 360 मिलीलीटर पानी में तब तक धीमी आँच पर पकाएँ जब तक कि यह पानी आधा न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद या शकर मिलाकर सेवन करें।
सर्दी, खाँसी, जुकाम में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। अस्थमा में भी यह चाय बड़ी उपयोगी है। अस्थमा वालों के लिए एक और नुस्खा भी है। एक चम्मच अलसी पावडर आधा गिलास पानी में सुबह भिगो दें। शाम को इसे छानकर पी लें। शाम को भिगोकर सुबह सेवन करें। गिलास काँच या चाँदी का होना चाहिए।
दिल
को दुरुस्त रखने में अलसी का उपयोग काफी कारगर साबित होता है। अनियमित
खानपान व वसा युक्त खाने से दिल की बिमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। अलसी
में पाया जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड रक्त नलिकाओं में वसा के जमाव को
रोकता है। अलसी के बीज से बनी चीजें दिल के रोग दूर करने में काफी मददगार
हैं।

प्राकृतिक
जड़ी बूटियों का शरीर को स्वस्थ रखने और तमाम गंभीर बीमारियों से बचाने
में महत्वपूर्ण योगदान है। आज के समय में प्राकृतिक जड़ी बूटियों का बहुत
महत्व है क्योंकि इनका इफेक्ट बहुत प्रभावशाली होता है और इनका कोई साइड
इफेक्ट भी नहीं होता। अलसी एक ऐसी ही जड़ी बूटी है जो कि ओमेगा 3 फैटी
एसिड का महत्वपूर्ण स्रोत है। यह तो आप जानते ही हैं कि शरीर को
चुस्त-दुरूस्त रखने में ओमेगा 3 फैटी एसिड का बहुत बड़ा योगदान है। लेकिन
क्या आप जानते हैं अलसी यानी फ्लैक्सीड के जरिए तमाम तरह की सेक्स समस्याओं
से निजात पाई जा सकती हैं। सवाल ये उठता है कि अलसी क्या है, अलसी का
उपयोग कैसे किया जाता है और किस तरह अलसी से