Monday, May 21, 2012

अलसी के असरकारी नुस्खे

अलसी में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, केरोटिन, थायमिन, राइबोफ्लेविन और नियासिन पाए जाते हैं। यह गनोरिया, नेफ्राइटिस, अस्थमा, सिस्टाइटिस, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, कब्ज, बवासीर, एक्जिमा के उपचार में उपयोगी है। अलसी को धीमी आँच पर हल्का भून लें। फिर मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख लें। रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच पावडर पानी के साथ लें। इसे सब्जी या दाल में मिलाकर भी लिया जा सकता है।

इसे अधिक मात्रा में पीस कर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह खराब होने लगती है। इसलिए थोड़ा-थोड़ा ही पीस कर रखें। अलसी सेवन के दौरान पानी खूब पीना चाहिए। इसमें फायबर अधिक होता है, जो पानी ज्यादा माँगता है। एक चम्मच अलसी पावडर को 360 मिलीलीटर पानी में तब तक धीमी आँच पर पकाएँ जब तक कि यह पानी आधा न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद या शकर मिलाकर सेवन करें।

सर्दी, खाँसी, जुकाम में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। अस्थमा में भी यह चाय बड़ी उपयोगी है। अस्थमा वालों के लिए एक और नुस्खा भी है। एक चम्मच अलसी पावडर आधा गिलास पानी में सुबह भिगो दें। शाम को इसे छानकर पी लें। शाम को भिगोकर सुबह सेवन करें। गिलास काँच या चाँदी का होना चाहिए।

संभोग से समाधि की ओर ले जाये अलसी

अलसी आधुनिक युग में स्त्रियों की यौन-इच्छा, कामोत्तेजना, चरम-आनंद विकार, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की महान औषधि है। स्त्रियों की सभी लैंगिक समस्याओं के सारे उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। "व्हाई वी लव" और "ऐनाटॉमी ऑफ लव" की महान लेखिका, शोधकर्ता और चिंतक हेलन फिशर भी अलसी को प्रेम, काम-पिपासा और लैंगिक संसर्ग के लिए आवश्यक सभी रसायनों जैसे डोपामीन, नाइट्रिक ऑक्साइड, नोरइपिनेफ्रीन, ऑक्सिटोसिन, सीरोटोनिन, टेस्टोस्टिरोन और फेरोमोन्स का प्रमुख घटक मानती है।
अलसी में ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन, सेलेनियम, जिंक और मेगनीशियम होते हैं जो स्त्री हार्मोन्स, टेस्टोस्टिरोन और फेरोमोन्स ( आकर्षण के हार्मोन) के निर्माण के मूलभूत घटक हैं। टेस्टोस्टिरोन आपकी कामेच्छा को चरम स्तर पर रखता है।
इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करती हैं जिससे मस्तिष्क और जननेन्द्रियों के बीच सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है।
 

 
नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट एवं लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे कामोत्तेजना बढ़ती है और प्रेम की लीला सजती है।
देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और संभोग शिव और उमा की रति-क्रीड़ा का उत्सव बन जाता है, समाधि बन जाती है।

Friday, May 18, 2012

अलसी Linseed, Linum Usitatissimum

सामान्य परिचय :
         अलसी की खेती मुख्यत: बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में होती है। अलसी का पौधा 2 से 4 फुट ऊंचा होता है। इसके पत्ते रेखाकार एक से तीन इंच लंबे होते हैं। फूल मंजरियों में हलके नीले रंग के होते हैं। फल कलश के समान आकार के होते हैं, जिसमें 10 बीज होते हैं। बीज ललाई लिए चपटे, अंडाकार, चमकदार होते हैं। बीजों से अलसी का तेल बनता है। अलसी की जड़ सफेद रंग की, पेंसिल जितनी मोटी और 4 से 10 इंच लंबी होती है।
विभिन्न भाषाओं में नाम :
संस्कृत        
  अतसी, नील पुष्पी, क्षुमा, उमा, पिच्छला, अतसी।
हिंदी           
          अलसी, तीसी।
मराठी         
          जवसु।
गुजराती      
          अलशी, अलसी।
बंगाली         
          मर्शिना।
तेलगू          
          बित्तु, अलसि, अतसी।
अरबी          
          कत्तन।
फारसी         
          तुख्में कत्तान, जागिरा।
अंग्रेजी         
          लिनसीड।
लैटिन         
          लिनम् युसिटेटिसिमम्।
रंग : अलसी का रंग लाल होता है।
स्वाद : इसका स्वाद फीका होता है।
प्रकृति : अलसी ठंड प्रकृति की होती है।
स्वरूप :
अलसी एक अनाज है जो खेतों में बोया जाता है। इसके फूल नीले और फल हरे रंग के होते हैं। उन्ही के अंदर यह लाल रंग की चिपटी दाना वाली होती है।
गुण :
        अलसी मधुर, तीखी, गुरू (भारी), स्निग्ध (चिकनी), गर्म प्रकृति, पाक में तीखी, वात नाशक, कफ़-पित्त वर्धक, आंखों के रोग, व्रण शोथ (जख्मों की सूजन) और वीर्य के दोषों का नाश करती है। अलसी का तेल मधु, वात नाशक, कुछ कसैला, स्निग्ध, उष्ण, कफ़ और खांसी नाशक, पाक में चरपरा होता है।
हानिकारक :
       अलसी का अधिक मात्रा में उपयोग आंखों के लिए हानिकारक होता है। यह अंडकोष, पाचनतंत्र (पाचन क्रिया) को नुकसान पहुंचाती है और शुक्रनाशक भी कही जाती है।
alasee alasi alsee alsi tisi teesee
Helpfull In
1 : वीर्यवर्द्धक (धातु को बढ़ाने वाला) 2 : अनिद्रा (नींद का न आना)
3 : कफयुक्त खांसी 4 : मुंह के छाले
5 : फोड़ा-फुंसी 6 : कब्ज
7 : आग से जलने पर 8 : पीठ, कमर का दर्द
9 : कान का दर्द 10 : कान में सूजन और गांठ
11 : कान के रोग 12 : स्तनों में दूध की वृद्धि
13 : शारीरिक दुर्बलता (कमजोरी) 14 : पेशाब में जलन
15 : कामोद्वीपन (संभोग शक्ति बढ़ाने) हेतु 16 : सिर दर्द
17 : आंखों में जलन 18 : श्वास कास (खांसी)
19 : वात एवं कफ से उत्पन्न विकार 20 : प्लीहा-शोथ (तिल्ली में सूजन का आना)
21 : रेचन (दस्तावर) 22 : सुजाक (गिनोरिया रोग)
23 : पुल्टिस (पोटली) बनाने में 24 : गठिया (जोड़ों) का दर्द
25 : कमर दर्द 26 : वीर्य की पुष्टि
27 : बंद गांठ आदि 28 : दमा या श्वास का रोग
29 : फेफड़ों की सूजन 30 : सीने का दर्द
31 : बालों का झड़ना (गंजेपन का रोग) 32 : यकृत का बढ़ना
33 : शीतपित्त 34 : गिल्टी (ट्यूमर)
35 : हृदय की निर्बलता (कमजोरी) 36 : नासूर (पुराने घाव)
37 : तुंडिका शोथ (टांसिल) 38 : हाथ-पैरों का फटना
39 : बालरोग 40 : कंठमाला के लिए

MIRACLE OF LINSEED

अलसी एक चमत्कारी आहार है। इसके नियमित सेवन से कई प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है। अलसी में ओमेगा३ पाया जाता है। यह हमें कई रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। ओमेगा३ शरीर के अंदर नहीं बनता इसे भोजन द्वारा ही ग्रहण किया जा सकता है। शाकाहारियों के लिए अलसी से अच्छा इसका कोई और स्रोत नहीं है। माँसाहारियों को तो यह तत्व मछली से मिल जाता है। अगर आप स्वयं को निरोग और तंदुरुस्त रखना चाहते हैं, तो रोज कम से कम एक दो चम्मच अलसी को अपने आहार का अंग बनाइये। अलसी टीबी, कैंसर, हृदयरोग, मधुमेह, उच्चरक्तचाप, कब्ज, बवासीर, जोड़ों का दर्द, एग्जिमा, ब्रिटल नेल एण्ड ब्रिटल हेयर जैसे नाना प्रकार के रोगों से आपको बचा सकती है। यह शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाती है और खराब कोलेस्ट्रोल को कम करती है। धमनियों में जमे कोलेस्ट्रोल को साफ करती है। पेट की सफाई करती है। अर्थात यह प्रकृति का सफाई आहार है।












कैसे सेवन करेंः अलसी को साफ कर हल्की आँच पर थोड़ा भून लें। इसमें थोड़ी सौंफ और अजवाइन मिला लें। चाहें तो काला नमक और नींबू का सत भी स्वाद के लिए डाला जा सकता है। इसे मुख शुद्धि के रूप में भोजन के बाद सुबह शाम और दोपहर में एक-एक चम्मच ले सकते हैं।
-या फिर सींकी हुई अलसी को मिक्सर में हल्का पीस कर आटे में मिला कर उसकी रोटी बनाइए और खाइए। या पीसी अलसी को सब्जी अथवा दाल में डाल कर भी खाया जा सकता है।
-विभिन्न प्रकार की चटनियों के साथ इसे मिला कर भी लिया जा सकता है।
अलसी के बारे में ज्यादा जानकारी आपको Flaxindia.ning.com पर मिल सकती है। कोटा राजस्थान के डा.ओपी वर्मा ने इस पर काफी रिसर्च किया है। उन्होंने फ्लेक्स अवेअरनेस सोसायटी बनाई है। चाहें तो आप भी उसके सदस्य बन कर अलसी अपनाने वाले क्लब में शामिल हो सकते हैं।
अगर आप पहले से अलसी का प्रयोग कर रहे हों तो अपने अनुभव शेयर कीजिए। या अब शुरू करने पर कुछ समय बाद बताइये कि आपको कैसे और क्या लाभ नजर आए।

्रांतिः कुछ लोगों के मन में यह भ्रांति है कि अलसी की प्रकृति गर्म होती है। अतः ग्रीष्मकाल में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। मैंने यह जिज्ञासा डा.ओपी वर्माजी के समक्ष रखी तो उनका जवाब था कि अलसी गर्म नहीं होती इसे किसी भी मौसम में लेने में कोई हर्ज नहीं है। कुछ लोगों को शुरूआत में पतले दस्त होने लगते हैं लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। बाद में अपने आप सब ठीक हो जाता है।
अलसी के अन्य फायदे
•ऊर्जा, स्फूर्ति व जीवटता प्रदान करती है।
•तनाव के क्षणों में शांत व स्थिर बनाए रखने में सहायक है।
•कैंसररोधी हार्मोन्स की सक्रियता बढ़ाती है।

•जोड़ों का कड़ापन कम करती है।
•प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रखती है।
•हृदय संबंधी रोगों के खतरे को कम करती है।
•उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करती है।
•त्वचा को स्वस्थ रखती है एवं सूखापन दूर कर एग्जिमा, खुजली, मुंहासे, सोराइसिस आदि से बचाती है।
•बालों व नाखून की वृद्धि कर उन्हें स्वस्थ व चमकदार बनाती है।
•इसका नियमित सेवन रजोनिवृत्ति संबंधी परेशानियों में राहत देता है।
•मासिक धर्म के दौरान ऐंठन को कम कर गर्भाशय को स्वस्थ रखती है।
•अलसी का सेवन त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम करता है।
•इसके रेशे पाचन को सुगम बनाते हैं, इस कारण वजन नियंत्रण करने में अलसी सहायक है।
•चयापचय की दर को बढ़ाती है एवं यकृत को स्वस्थ रखती है। DR VIJOY NAG M.D(AM)

ALSI (Omega -3 fatty acid) VERY USEFUL

सुपर फुड अलसी में ओमेगा थ्री व सबसे अधिक फाइबर होता है। यह डब्लयू एच ओ ने इसे सुपर फुड माना है। यह रोगों के उपचार में लाभप्रद है। लेकिन इसका सेवन अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग तरह से किया जाता है।

स्वस्थ व्यक्ति को रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ ,सब्जी, दाल या सलाद मंे मिलाकर लेना चाहिए । अलसी के पाउडर को ज्यूस, दूध या दही में मिलाकर भी लिया जा सकता है। इसकी मात्रा 30 से 60 ग्राम प्रतिदिन तक ली जा सकती है। 100-500 ग्राम अलसी को मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लें। अलसी को अधिक मात्रा मंे पीस कर न रखें, यह पाउडर के रूप में खराब होने लगती है। सात दिन से ज्यादा पुराना पीसा हुआ पाउडर प्रयोग न करें। इसको एक साथ पीसने से तिलहन होने के कारण खराब हो जाता है।

खाँसी होने पर अलसी की चाय पीएं। पानी को उबालकर उसमें अलसी पाउडर मिलाकर चाय तैयार करें। एक चम्मच अलसी पावडर को दो कप (360 मिलीलीटर) पानी में तब तक धीमी आँच पर पकाएँ जब तक यह पानी एक कप न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद, गुड़ या शकर मिलाकर पीएँ। सर्दी, खाँसी, जुकाम, दमा आदि में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। दमा रोगी एक चम्मच अलसी के पाउडर को आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और उसको सुबह-शाम छानकर सेवन करे तो काफी लाभ होता है। गिलास काँच या चाँदी का होना चाहिए।
समान मात्रा में अलसी पाउडर, शहद, खोपराचूरा, मिल्क पाउडर व सूखे मेवे मिलाकर नील मधु तैयार करें। कमजोरी में व बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नील मधु उपयोगी है।

डायबीटिज के मरीज को आटा गुन्धते वक्त प्रति व्यक्ति 25 ग्राम अलसी काँफी ग्राईन्डर में ताजा पीसकर आटे में मिलाकर इसका सेवन करना चाहिए। अलसी मिलाकर रोटियाँ बनाकर खाई जा सकती हैं। अलसी एक जीरो-कार फूड है अर्थात् इसमें कार्बोहाइट्रेट अधिक होता है।शक्कर की मात्रा न्यूनतम है।
कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकला तीन चम्मच तेल, छः चम्मच पनीर में मिलाकर उसमें सूखे मेवे मिलाकर देने चाहिए।

कैंसर की स्थिति में डाँक्टर बुजविड के आहार-विहार की पालना श्रद्धा भाव से व पूर्णता से करनी चाहिए। कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकले तेल की मालिश भी करनी चाहिए।
साफ बीनी हुई और पोंछी हुई अलसी को धीमी आंच पर तिल की तरह भून लें। मुखवासी इसका सेवन करें। इसमें सेँधा नमक भी मिलाया जा सकता है। ज्यादा पुरानी भुनी हुई अलसी प्रयोग में न लें।
बेसन में 25 प्रतिशत मिलाकर अलसी मिलाकर व्यंजन बनाएं। बाटी बनाते वक्त भी उसमें भी अलसी पाउडर मिलाया जा सकता है। सब्जी की ग्रेवी में भी अलसी पाउडर का प्रयोग करें।
अलसी सेवन के दौरान खूब पानी पीना चाहिए। इसमें अधिक फाइबर होता है, जो खूब पानी माँगता है।

ALSI USE ACCORDING TO DISEASES

स्मरण शक्ति बढ़ाने मेँ प्रयोग

अलसी का तेल आपकी
एकाग्रता, स्मरण शक्ति तथा
सोचने-समझने की शक्ति
को बढ़ाता है। नियमित रूप
से अलसी के तेल के सेवन
से आपको मस्तिष्क सम्बंधी
कोई विकार नहीँ रहेगा । 

बालों का सेटिंग जेलः-

पहले तीन कप पानी को तेज आंच पर रखें। उबाल आने पर तीन चौथाई कप अलसी डाल कर 8 – 10 मिनट तक सिमर करें। ठंडा होने पर एक चम्मच नारियल या बादाम का तेल व 5 बूंद लेवेन्डर का तेल मिलाएं और फ्रीज में रखें। इसे एक सप्ताह तक बालों को सेट करने हेतु काम में ले सकते हैं।

केश तेलः-

मीठी नीम और मेंहदी के पत्तों को धो कर और पोंछ कर मिक्सर में बारीक पीस लें। एक कप नारियल के तेल को गर्म करें और उसमें एक चम्मच मीठी नीम और मेंहदी के पत्तों के इस पेस्ट को भूरा होने तक धीरे-धीरे भूने। फिर उसमें एक कप अलसी का तेल डाल कर थोड़ा सा लेवेन्डर तेल मिलाएं। आपका केश तेल तैयार है।
अंकुरित अलसी
अंकुरित अलसी बनाने की विधिः–

रात को सोते समय अलसी को भिगो कर रख दीजिये। सुबह अलसी को साफ पानी में धोकर पांच मिनट के लिए किसी चलनी में रख दें ताकि उसका पानी नितर जाये। अब साफ धुले हुए मोटे सूती कपड़े जैसे पुराने बनियान में लपेट कर एक प्लेट में रख कर दूसरी प्लेट से ढक कर रख दें। दूसरे दिन सुबह आपके स्वादिष्ट अंकुरित तैयार हैं।
अलसी के कुछ सौंदर्य प्रसाधन आप द्वारा घर पर भी बनाये जा सकते हैं।
अलसी का उबटनः-

चौथाई कप ताजा पिसी अलसी, चौथाई कप बेसन और चौथाई कप गैंहूं के आटे को आधा कप (100 एम.एल.) दही, एक बड़ी चम्मच शहद, एक बड़ी चम्मच अलसी या खोपरे के तेल व किसी भी सुगंधित तेल की 5 बूंद (जैसे लेवेंडर तेल आदि) में अच्छी तरह मिला कर उबटन बनाएं, होले होले चेहरे व बदन पर मलें और घर बैठे ही हर्बल स्पा जैसा लाभ पायें। इससे त्वचा नम व रेशमी बनी रहेगी।
DR VIJOY KUMAR NAG ---nagvijoykumar21@gmail.com

दिल को दुरुस्त रखने में मददगार है अलसी

Asli seeds for heartदिल को दुरुस्त रखने में अलसी का उपयोग काफी कारगर साबित होता है। अनियमित खानपान व वसा युक्त खाने से दिल की बिमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। अलसी में पाया  जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड रक्त नलिकाओं में वसा के जमाव को रोकता है। अलसी के बीज से बनी चीजें दिल के रोग दूर करने में काफी मददगार हैं।

ओमेगा-3 फैटी एसिड
यह एसिड हर्ट अटैक के खतरे को कम करता है। यह धमनियों के फैलाव में मदद करता है जिससे उनमें रक्त का प्रवाह सही ढंग से हो सके, लेकिन ओमेगा-3 फैटी एसिड हमारे शरीर में नहीं बनता है इसे भोजन के ही ग्रहण करना होता है। शाकाहारियों के लिए अलसी ओमेगा-3 एसिड का का सबसे अच्छा स्रोत है क्योंकि मांसाहारियों को तो यह एसिड मछली से मिल जाता है।

कोलेस्ट्रोल की समस्या
दिल को दुरुस्त रखने के लिए जरूरी है कि आपका कोलेस्ट्रोल लेवल कम हो। अलसी के बीज रक्त में अच्छे कोलेस्ट्रोल की मात्रा को बढ़ाता है और खराब कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है।
ब्लड क्लॉट का खतरा कम
अलसी के बीज के लगातार सेवन से दिल की धमनियों में ब्लड क्लॉट की समस्या नहीं होती है। जिससे हार्ट अटैक का खतरा कम रहता है ।
फाइबर का स्रोत अलसी
फाइबर खाने से वसा में कमी आती है जो कोलेस्ट्रोल कम करने में मदद करता है । साथ ही फाइबर से आपको प्यास बहुत ज्यादा लगती है इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।
अलसी का तेल वसा रहित
अलसी का तेल वसा रहित होता है इसलिए इसमें बना खाना आपको दिल के रोगों से दूर रखता है।अलसी का तेल व बीज कोलेस्ट्रोल को कम करने के साथ हृदय संबंधी अन्य रोगों से बचाता है। अलसी का तेल एनजाइना व हाइपरटेंशन से भी बचाता है।
कैसे सेवन करे
  • अलसी के बीज को हल्की आँच पर थोड़ा भून लें। इसमें थोड़ी सौंफ और अजवाइन मिला लें। चाहें तो काला नमक और नींबू भी स्वादानुसार मिला सकते हैं. भोजन के बाद सुबह शाम और दोपहर में एक-एक चम्मच ले सकते हैं।
  • पीसी हुई अलसी को सब्जी अथवा दाल में डाल कर भी खाया जा सकता है।
  • अलग अलग प्रकार की चटनियों में भी इसे मिला कर खाया जा सकता है।
  • अलसी को किसी एयरटाइट डिब्बे में ही रखें। ओमेगा-3 फैटी एसिड के लिए हवा नुकसादायक होती है। हवा के संपर्क में आते ही ओमेगा-3 फैटी एसिड नष्ट होने लगता है।  DR BIJOY KUMAR NAG --drbijoykumar@gmail.com---9058790276

अलसी की ग्रीन चटनी

ND

सामग्री :
हरी मिर्च 4-5, एक कटोरी कटा हरा धनिया, ताजा पिसी अलसी 3 चम्मच, कटा प्याज व टमाटर एक-एक कटोरी, दही आधा कटोरी, पाव जीरा चम्मच, नमक।
विधि :
हरी मिर्च के छोटे टुकड़ों में काट लें। मिक्सी में उपरोक्त सारी सामग्री डालकर अच्छी तरह महीन होने ‍तक पीस लें। अब तैयार अलसी की पौष्टिक ग्रीन चटनी रोटी के साथ खाने का आनंद उठाएँ।

अलसी मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से

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27 अप्रैल 2010 ... नेचुरल सुपर फूड, अलसी, जवान, आयु, यूथ टिप्स, युवाओं में, युवाओं के लिए, सेहत टिप्स, जवान, आयु, यूथ टिप्स, युवाओं में, हेल्थ,Tips for Youth, Health tips for youth, youth age, teen age, Health Health, अलसी आजकल.
hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/.../1100427071_1.htm
पिछले कई वर्षों से हमारी संस्था अलसी चेतना यात्रा अलसी के बारे में जागरूकता लाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। अलसी की जागरुकता के अलावा हमारी संस्था के निम्न उद्देश्य हैं। • जैविक खाद्य पदार्थों के उत्पादन, उपयोग को प्रोत्साहन देना ...
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लो कैलोरी फूड, खाना खजाना, इंडियन रेसिपी, कम कैलोरी व्यंजन विधि,Low Clorie Food, Healthy Food, High Protein Food, Low Calorie Recipes,सामग्री : 1 बड़ा कटोरा, 2 छोटे चम्मच अलसी के बीज, पानी जरूरतानुसार। अंकुरित करने के लिए एक साफ कपड़ा। विधि :

दिल के लिए वरदान है अलसी


सेहत समाचार
ND
अलसी का उपयोग आपको दिल की बीमारियों से बचा सकता है। अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो रक्त नलिकाओं में वसा के जमाव को रोकता है। कनाडा के डॉ. ग्रांट पियर्स द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। अलसी के बीज से बने पदार्थ हृदय रोग दूर करने में काफी मददगार हैं।

यह भारतीय मरीजों के लिए खाने में इस्तेमाल होने वाले तेल का भी बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके साथ अश्वगंधा, मांस और हरी सब्जियों में पाया जाने वाला नियासिन नामक विटामिन भी हृदय रोग घटाने में मददगार है। अभी जीवनशैली में आने वाले बदलाव के कारण हृदय रोग और उच्च रक्तचाप आदि की समस्याएँ काफी बढ़ रही हैं।

इन स्वास्थ्य समस्याओं के लिए नियमित दवाएँ लेना जरूरी है। इन दवाओं के भी साइड इफेक्ट्स होते हैं। ऐसे में इन समस्याओं को कम करने में यह प्राकृतिक उपाय काफी सहायक सिद्ध हो सकता है।
• आयुर्वेदिक पौधे से डायबिटीज भगाए
7 अप्रैल 2010 ... अलसी एक चमत्कारी आहार है। इसके नियमित सेवन से कई प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है। अलसी में ओमेगा३ पाया जाता है। यह हमें कई रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। ओमेगा३ शरीर के अंदर नहीं बनता इसे भोजन द्वारा ही ग्रहण किया ...
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21 अप्रैल 2010 ... पिछली बार आपने अलसी की महिमा पढ़ी। इस बार आलसी की महिमा पेश है। एक सज्जन को मैंने अलसी का सेवन करने की सलाह दी। हफ्ते भर बाद जब मिले तो पूछा आपने अलसी शुरू की? बोले क्या बताऊं टाइम ही नहीं मिल पाता। बाजार जाकर ला नहीं ...
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एक चम्मच अलसी पावडर को 360 मिलीलीटर पानी में तब तक धीमी आंच पर पकाएं जब तक कि यह पानी आधा न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद या शकर मिलाकर सेवन करें। सर्दी, खांसी, जुकाम में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। अस्थमा में भी यह चाय ...
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27 अप्रैल 2010 ... नेचुरल सुपर फूड, अलसी, जवान, आयु, यूथ टिप्स, युवाओं में, युवाओं के लिए, सेहत टिप्स, जवान, आयु, यूथ टिप्स, युवाओं में, हेल्थ,Tips for Youth, Health tips for youth, youth age, teen age, Health Health, अलसी आजकल.
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पिछले कई वर्षों से हमारी संस्था अलसी चेतना यात्रा अलसी के बारे में जागरूकता लाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। अलसी की जागरुकता के अलावा हमारी संस्था के निम्न उद्देश्य हैं। • जैविक खाद्य पदार्थों के उत्पादन, उपयोग को प्रोत्साहन देना ...
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लो कैलोरी फूड, खाना खजाना, इंडियन रेसिपी, कम कैलोरी व्यंजन विधि,Low Clorie Food, Healthy Food, High Protein Food, Low Calorie Recipes,सामग्री : 1 बड़ा कटोरा, 2 छोटे चम्मच अलसी के बीज, पानी जरूरतानुसार। अंकुरित करने के लिए एक साफ कपड़ा। विधि :

अलसी से सेक्स समस्याओं का उपचार

sex samasyao ka upcharप्राकृतिक जड़ी बूटियों का शरीर को स्वस्थ रखने और तमाम गंभीर बीमारियों से बचाने में महत्वपूर्ण योगदान है। आज के समय में प्राकृतिक जड़ी बूटियों का बहुत महत्व है क्योंकि इनका इफेक्ट बहुत प्रभावशाली होता है और इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। अलसी एक ऐसी ही जड़ी बूटी है जो कि ओमेगा 3 फैटी एसिड  का महत्वपूर्ण स्रोत है। यह तो आप जानते ही हैं कि शरीर को चुस्त-दुरूस्त रखने में ओमेगा 3 फैटी एसिड का बहुत बड़ा योगदान है। लेकिन क्या आप जानते हैं अलसी यानी फ्लैक्सीड के जरिए तमाम तरह की सेक्स समस्याओं से निजात पाई जा सकती हैं। सवाल ये उठता है कि अलसी क्या है, अलसी का उपयोग कैसे किया जाता है और किस तरह अलसी से सेक्स समस्याओं का उपचार किया जा सकता है। आइए जानें अलसी से सेक्स समस्याओं के उपचार के बारे में कुछ और दिलचस्प बातें।

अलसी क्या है



अलसी एक जड़ी बूटी है जिसमें लिनोलेनिक नामक एसिड पाया जाता है जो कि ओमेगा 3 फैटी एसिड का महत्वपूर्ण स्रोत है। इतना ही नहीं अलसी एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर औषधी है जो कि व्‍यक्ति को प्रोटेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाती हैं।

अलसी का प्रयोग

  • पुरूषों को आमतौर पर बढ़ती उम्र में प्रोटेस्ट कैंसर हो जाता है जो कि सेक्स समस्याओं का मुख्य कारक है। प्रोटेस्ट कैंसर से ब्लैडर कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। अलसी के सेवन से ना सिर्फ सेक्स समस्याओं से बचा जा सकता है बल्कि कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों से भी बचा जा सकता है।
  • अलसी को चूर्ण, गोली के रूप में या फिर खाने के साथ मिक्स करके भी लिया जा सकता है। लेकिन अलसी का सेवन करने से पहले डॉक्टर्स से संपर्क करना और इसके सेवन के लिए सलाह लेना जरूरी है। खासतौर पर तब जब आप सेक्स समस्या‍ओं से निजात पाने के लिए इसका सेवन कर रहे हों।
  • हालांकि अलसी एक प्राकृतिक तत्व है लेकिन हर गुणकारी चीज के कुछ फायदे होते हैं तो उसके नुकसान भी होते हैं। इसीलिए अलसी के प्रयोग से आपको कोई साइड इफेक्ट ना हो इसके लिए डॉक्टर से बात करना जरूरी हो जाता है।
  • अलसी के सेवन से आप कुछ सेक्स समस्या्ओं जैसे जल्दी उत्तेजित होना या सेक्स के दौरान नर्वस होना, शारीरिक दुर्बलता होना, सेक्स में रूचि कम होना, बांझपन, बार-बार  गर्भपात होना, स्तनपान के दौरान दूध ना आना इत्यादि समस्याओं से रोजाना अलसी का सेवन करके निजात पा सकते हैं।


क्या कहते हैं शोध


हाल ही में आए शोध में भी इस बात को पुख्ता किया गया कि अलसी यानी फ्लैक्सीड से आप तमाम गंभीर सेक्स समस्याओं से भी निजात पा सकते हैं। शोधों के मुताबिक, यदि किसी को कोई सेक्स समस्या होती है तो उसका मुख्य कारण पेल्विक की कोशिकाओं में रक्त का ठीक तरह से संचार ना होना। लेकिन जब आप इस समस्या के दौरान अलसी का प्रयोग करते हैं तो आपकी रक्त वाहिनियां खुल जाती हैं और धीरे-धीरे रक्त वाहिनियों में रक्त का संचार भी बढ़ जाता है। इतना ही नहीं शोधों में यह भी बता सामने आई है कि जिन लोगों की सेक्स में रूचि नहीं होती उनकी उत्तेजना बढ़ाने में अलसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दरअसल अलसी में कई गुणकारी तत्व मौजूद होते हैं इनमें से उत्तेजना बढ़ाने वाला एक तत्व एफरोडाइसियेक्स भी मौजूद होता है।