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स्विट्जरलैंड में यूनिवर्सिटी ऑफ लुसाने के वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया कि जब कोई महिला नई मां बनती है तो उसके मस्तिष्क में बेहद तेजी के साथ ऑक्सीटोसीन नामक हार्मोन का स्राव होने लगता है। इस ऑक्सीटोसिन को लव हार्मोन भी कहते हैं।
बच्चे के विकास के लिए इस हार्मोन का होना जरूरी है। इस हार्मोन की मदद से न केवल माताएं प्रसूति पीड़ा से आसानी से पार कर जाती हैं बल्कि बाद में भी अपने शिशु की रक्षा करने में वह बेहद सतर्क हो जाती हैं।
चूहों पर किए गए इस परीक्षण के बारे में स्नायु तंत्र वैज्ञानिक और शोध के लेखक रॉन स्टूप ने बताया कि इस रिपोर्ट के नतीजे ऑटिज्म, बेचैनी तथा भय संबंधी मानसिक विकृतियों के इलाज में मददगार हो सकते हैं।
यह रिपोर्ट 'लाइव साइंस' में प्रकाशित हुई है। अध्ययन में पाया गया कि जब चूहों में ऑक्सीटोसिन की मात्रा एमायगडेला यानी प्रमस्तिष्क खंड में बढ़ने लगती है तो उनमें डर से निपटने के लिए एक अद्भुत क्षमता विकसित होने लगती है।
इस समय दिमाग की खास कोशिकाएं न्यूरोलॉजिकल एक्सप्रेस-वे की तरह काम करती है। अध्ययन में जब इन चूहों पर ऑक्सीटोसिन देकर इन कोशिकाओं को उद्दीपित किया गया तो उनमें डर का नाममात्र भी असर नहीं रहा।
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